22 अप्रैल 2011
काठमांडू। नेपाल के प्रधानमंत्री झलनाथ खनाल की पार्टी से हाल ही में नियुक्त किए गए एक मंत्री को इस्तीफा देना पड़ा है, क्योंकि उसके पास भारतीय पासपोर्ट एवं राशन कार्ड तथा तिब्बती शरणार्थी का पहचान पत्र होने का विवाद सामने आया है।
वित्त राज्य मंत्री, बौद्ध भिक्षु लखरकयाल लामा ने गुरुवार को मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया। लामा के बारे में मीडिया में खबरें आई थीं कि उनके पास गुवाहाटी से जारी भारतीय पासपोर्ट और मैसूर शहर में भारतीय प्रशासन द्वारा तिब्बती शरणार्थी के रूप में जारी हुआ एक पहचान पत्र भी है।
लामा, इसके पहले बौद्ध मठों के प्रबंधन से सम्बंधित एक सरकारी संस्था के प्रमुख के पद पर काम कर चुके हैं। लामा पर "तिब्बत मुक्ति" आंदोलन का समर्थक होने के साथ ही काठमांडू स्थित चीनी दूतावास में एक चीनी सैन्य अधिकारी से बराबर सम्पर्क रखने का भी आरोप है।
अमेरिका में एक बौद्ध मठ के संचालन में वित्तीय धोखाधड़ी करने का भी उन पर आरोप लग चुका है। उन्होंने हालांकि कहा था कि यह अनुदानों को लेकर पैदा हुई गलतफहमी थी जिसे दूर कर दिया गया है।
लामा एक अल्पसंख्यक समुदाय से सम्बंध रखते हैं और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल-यूनीफाइड मार्क्सिस्ट लेनिनिस्ट द्वारा 2008 में संसद के लिए उन्हें नामित किया गया था।
इस विवाद के बाहर आने से नेपाल सरकार को काफी शर्मसार होना पड़ा है, खासतौर से तब जब एक स्थानीय दैनिक पत्र ने निर्वासित तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा के साथ लखरकयाल लामा का एक छाया चित्र प्रकाशित कर दिया।
अतीत में चीन ने कम से कम दो बार नेपाली सांसदों को भारत में धर्मशाला जाने और दलाई लामा से मिलने पर आपत्ति की थी। चीन ने राष्ट्रपति राम बरन यादव और मंत्रियों को काठमांडू में एक बौद्ध मठ में आयोजित एक वर्षगांठ समारोह में भी हिस्सा लेने से रोका था।
प्रधानमंत्री ने इस विवादास्पद मंत्री का इस्तीफा तत्काल स्वीकार कर लिया। लामा की विदाई के साथ ही दो महीने पुरानी खनाल सरकार का दूसरा विकेट गिर गया है।
इस महीने के प्रारम्भ में प्रधानमंत्री ने एक और नवनियुक्त मंत्री राधा ज्ञावली को बर्खास्त कर दिया था, क्योंकि वह शपथग्रहण समारोह से गायब थे।
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